‘राम एक’...........’रामायण अनेक’ !!

भारतवर्ष के विभिन्न प्रांतों में रामायण के रूप में रामकथा की परंपरा है ही विदेशों में भी भगवान श्री राम की मर्यादा पुरुषोत्तम को दर्शाने वाली अनेक रामायण की रचना हुई है इस प्रकार यह राम कथा आज विश्वव्यापी हो गई है।
          रामकथा के प्रणेता के रूप में महर्षि बाल्मीकि और उनकी कृति बाल्मीकि रामायण का नाम सर्वप्रथम लिया जाता हैबाल्मीकि रामायण को स्मृत-ग्रंथ माना गया है। इस ग्रंथ की रचना माँ सरस्वती की कृपा से हुई थी। स ग्रंथ को ऋतंभरा प्रज्ञा की देन बताया जाता है। इस रामायण की रचना संस्कृत भाषा में हुई है।
          ‘श्रीरामचरितमानस की रचना गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा संवत 1633 विक्रमी में संपन्न हुई थी। अवधी भाषा में रचित इस महान कवि की रचना में 2 वर्ष 7 महीने 26 दिन लगे। इस ग्रंथ में बालकांड, अयोध्याकांड, अरण्यकांड, किष्किंधाकांड, सुंदरकांड, लंकाकांड तथा उत्तरकांड के रूप में सात कांड है। गागर में सागर की भांति इन सात कांडों में ही श्रीराम के संपूर्ण चरित्र को समाहित किया गया है
          अध्यात्म रामायण की रचना महर्षि वेदव्यास द्वारा की गई है। ब्रह्मांड पुराण के उत्तरखंड के अंतर्गत एक आख्यान के रूप में इसकी रचना हुई है। इसकी रचना संस्कृत भाषा में की गई है। प्रस्तुत ग्रंथ में भगवान श्रीराम को आध्यात्मिक तत्व माना गया है
          आनंद रामायण महर्षि बाल्मीकि की रचना मानी जाती है। इस रामायण को भी सारकांड, जन्मकांड, मनोहरकांड, राज्यकांड आदि कांडों में बांटा गया है। संस्कृत भाषा में रचित इस रामायण में राजनीतिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक एवं सामाजिक महत्व के साथ ही श्रीराम के मर्यादा पुरुषत्व की नींव को सुदृढ़ बनाया गया है।
          अद्भुत रामायण की रचना की संस्कृत भाषा में हुई है। इस रामायण में 27 सर्ग और लगभग 14000 श्लोक हैं। इस रामायण में भगवती सीता के महात्म्य को विशेष रुप से दर्शाया गया है। इस रामायण के अनुसार सहस्त्रमुख  नाम का भी रावण था जो दशमुख रावण का अग्रज था। सीता ने महाकाली का रूप धारण करके सहस्त्रमुख रावण का वध किया था।
          योगवशिष्ठ रामायण की रचना भी महर्षि वाल्मीकि द्वारा ही संपन्न हुई है। इससे योग वशिष्ठ महारामायण, आर्षरामायण, वासिष्ठरामायण, ज्ञान वासिष्ठरामायण के नाम से भी जाना जाता है। इस ग्रंथ में वैराग्य-प्रकरण, मुमुक्षु-व्यवहार-प्रकरण, उत्पत्ति-प्रकरण, स्थिति-प्रकरण, उपशम-प्रक्ररण तथा निर्वान-प्रकरण (पूर्वार्ध एवं उत्तरार्ध) के रुप में श्री राम के चरित्र को 6 प्रकरणों में विभक्त किया गया है। संस्कृत भाषा में रचित रामायण में श्रीराम के मानवीय चरित्र के पक्ष को विस्तृत रूप से वर्णित किया गया है
          संस्कृत भाषा में टीका के रूप में रचित एक अन्य रामायण प्रेम रामायण है। यह श्रीरामचरितमानस की प्राचीनतम संस्कृत टीका का मानी जाती है। उसकी रचना गोस्वामी तुलसीदास के प शिष्य श्री रामू द्विवेदी ने की थी।
कृतिवास रामायण की रचना गोस्वामी तुलसीदास जी के जन्म से लगभग सौ वर्ष पूर्व हुई थी। इस रामायण की भाषा बांग्ला है कृतिवास द्वारा रचित इस रामायण में बालकांड, अयोध्याकांड, अरण्यकांड, किष्किंधाकांड, उत्तरकांड इत्यादि हैं। इसे रामायण में भी सात कांड हैंपवार छंदों में पांचालीगान के रूप में रचित इस ग्रंथ में श्रीराम के उदार चरित्रों का बखान किया गया है।
          रंगनाथ रामायण की रचना द्रविड़ भाषा (तेलुगु) में श्रीगोनबुद्धराज द्वारा देश छंदों में सन 1380 ई के आस- पास की गई है। इस रामायण में युद्धकांड के माध्यम से श्रीराम को महाप्रतापी बताया गया है। रावण के कुकृत्यों की निंदा के साथ ही उसके गुणों की भी इसमें मुक्त कंठ से प्रशंसा की गई है
          बिलंका रामायण की रचना उड़िया भाषा में आदिकवि श्री शारलादास द्वारा की गई है। यह रामायण पूर्वखंड तथा उत्तराखंड के रूप में दो खंडों में हैशिव-पार्वती के संवाद के रुप में रचित रामायण भगवती महिषासुरमर्दिनि की वंदना से प्रारंभ है
          उड़िया भाषा में रचित एक अन्य रामायण जगमोहन रामायण है, जिसके रचनाकार संत बलरामदास जी हैं। समस्त उत्कल प्रदेश में इसकी प्रसिद्धि डांडी रामायण के नाम से हैउड़िया भाषा में एक अन्य रामायण विचित्र रामायण के नाम से ही प्राप्त होती है उसके रचयिता विश्वा खुंटिया है।
          तमिल भाषा में महाकवि कंबन ने कंब रामायण की रचना कीयह छह कंडों में है, प्रत्येक कांड में कथाओं को पटलों में विभक्त किया गया है। श्री राजगोपालाचारी जी ने इसका अंग्रेजी में अनुवाद भी किया है
कन्नड़ भाषा में महाकवि बत्तलेश्वर ने तोरवे रामायण की रचना कीयह रामायण शिव-पार्वती संवाद के रूप में उपनिबद्ध है
          असमिया भाषा में भौमा शिवनन्द की कृत रामायण और अनंतठाकुर आताकृत कीर्तनिया रामायण प्राप्त होती है।
          कश्मीरी रामायण की रचना दिवाकरप्रकाश भट्ट द्वारा कश्मीरी भाषा में की गई है। इस रामायण को रामावतारचरित के नाम से भी जाना जाता है। इसका एक नाम एक प्रकाशरामायण भी हैकाशुर रामायण के नाम से इसका हिंदी रूपांतर भी प्राप्त है। इस रामायण में भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य की त्रिवेणी प्रवाहित होती दिखाई देती है।
          गुजराती भाषा में महाकवि गिरिधर द्वारा लिखित गिरिधर रामायण प्रसिद्ध है। गुजराती भाषा में इसका वही स्थान है जो हिंदी में गोस्वामी तुलसीकृत रामचरितमानस का। इसके अतिरिक्त मध्यकालीन गुजराती कवि उद्धव द्वारा रचित उद्धवरामायण भी प्राप्त होती है। गुजरात के आदिवासियों में डांगी रामायण तथा वहां के भीलों में भलोड़ी रामायण का प्रचलन है। इनके अतिरिक्त जैन कवि श्रीजिनराय सूरी रचित जैन रामायण तथा हृदयस्पर्शी लोक गीतों पर आधारित लोक रामायण गुजरात में रामकथा की परंपरा को दर्शाती है।
          मराठी साहित्य में छत्रपति शिवाजी के महाराज के गुरु समर्थ स्वामी रामदास जी द्वारा रचित लघु-बृहत रामायण तथा संत एकनाथ द्वारा रचित भावार्थ रामायण प्राप्त होती है।
          राजस्थानी भाषा में कवि मेंह रचित मेंह रामायण प्राप्त होती है। कुल 261 छंदों वाली इस रामायण की रचना सन 1518 ईस्वी के लगभग हुई।
          पंजाबी भाषा में गोविंद रामायण नाम से एक रामायण मिलती है, इसे सिखों के दशम गुरु गोविंद सिंहजी ने लिखा हैगोविंदरामायण में मुख्य रूप से भगवान श्रीराम के दुष्टसंहारक और अभय दाता रूप का चित्रण हुआ है।
          मिथिला जग्ग्जननी जनकनंदिनी की जन्मभूमि है, वहां की मैथिली भाषा में भगवान श्री राम के पावन चरित्र का प्रणयन हुआ है। मैथिली श्रीरामचरितमानस नामक इस रामायण के रचनाकार श्री रामलोचन शरण जी है।
          उपर्युक्त रामायणों के अतिरिक्त विष्णुप्रताप रामायण, मैथिली रामायण, दिनकर रामायण, शंकर रामायण, शर्मा रामायण, ताराचंद रामायण, अमर रामायण, नेपाली रामायण, मंत्र रामायण, कीर्ति रामायण, प्रीति रामायण (गीति), शत्रुंजय रामायण, खोतानी रामायण, तिब्बती रामायण, चरित्र रामायण, ककविन रामायण, जावी रामायण, जानकी रामायण आदि अनेक रामायण की रचना सिर्फ भारत ही नहीं अपितु विदेशों में भी की गई है
          दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों, विशेषकर थाईलैंड, कंबोडिया, लाओस, मलेशिया, इंडोनेशिया आदि में भारत की ही भांति रामकथा की लोकप्रियता हैथाईलैंड में प्रचलित रामायण का नाम रामकियेन है, जिसका अर्थ है राम की कीर्तिकंबोडिया की रामायण रामके नाम से प्रसिद्ध हैलाओस में फालक फालाम और फोचक्र नाम से दो रामायणें  प्रचलित हैं मलेशिया यद्यपि मुस्लिम राष्ट्र है, परंतु वहां भी हिकायत श्रीरामा नामक रामायण प्रचलित है, जिसका तात्पर्य है श्रीराम की कथाइंडोनेशिया की रामायण का नाम ककविन रामायण है, जिसके रचनाकार ककविन हैं
          नेपाल भारत का पड़ोसी एवं मित्र राष्ट्र है, वहां के जन जीवन में रामकथा भारत की ही भांति समाहित। कवि एवं नाटककार पहलमान सिंह स्वार ने श्रीरामचरितमानस का नेपाली भाषा में अनुवाद किया थानेपाली रामायण की रचना श्री भानुभक्त ने 19वीं शताब्दी में की थी। इसे भानुभक्त रामायण भी कहा जाता है।
          इतना ही नहीं, राम को मिस्र (संयुक्त अरब गणराज्य)- जैसे मुस्लिम राष्ट्र और रूस- जैसे कम्युनिस्ट राष्ट्र में भी लोक नायक के रूप में स्वीकार किया गया है
         रामायण सत कोटि अपारा की भांति राम कथा के सागर में गोता लगाने वाले कवियों ने राम का जितना साक्षात्कार किया, उसे अपने ग्रंथों में ढाल दिया। हरि अनंत हरि कथा अनंता के अनुसार राम कथा के रस से परिपूर्ण सभी ग्रंथ अपने-आप में अलौकिक एवं आध्यात्मिक हैं

अंत में निष्कर्ष यही निकलता है कि सभी रामायणें राम चरित्र पर ही आधारित है"राम को तो सब जानते एवं मानते हैं, परंतु राम की बात कोई नहीं मानता।" यदि हम राम की बात मानें तो इस विश्व में ना किसी प्रकार का किसी से कोई विवाद हो न विरोध ही हो अतः राम की बात मानने में ही विश्व का कल्याण निहित है।

Comments