भारतीय सिक्कों पर 'शिवलिंग' !!


प्राचीन काल से ही भारतीय सिक्कों पर हिंदू देवी-देवताओं को स्थान मिलता आ रहा है। 'कुषाण वंश' और 'उज्जैनी राज्य' के सिक्कों पर 'शिव के रूप में' एवं विजयनगर के सिक्कों पर 'शिव-पार्वती' की छवि का अंकन मिलता है। शिव को लिंग के रूप में सर्वप्रथम इंदौर के होल्कर वंश की महारानी अहिल्याबाई ने अपने चांदी एवं तांबे के सिक्कों पर स्थान दिया। भारतीय इतिहास में राजमाता अहिल्याबाई एक कुशल प्रशासक, राजनीतिज्ञ, न्यायप्रिय, धार्मिक, कुटनीतिज्ञ, दूरद्रष्टा के रूप में जानी जाती हैं। मल्हार राव होल्कर ने होल्कर राज्य की स्थापना की। उनके बेटे खंडेराव और उनकी धर्मपत्नी अहिल्याबाई के पुत्र की मृत्यु के बाद कोई पुरुष राजवंश का वारिश ना होने से दत्तक पुत्र लेने का दबाव बनाया गया, जिसे उन्होंने बहुत चतुराई से एवं अन्य हिंदू राजाओं की मदद से ठुकरा दिया एवं भगवान शिव के नाम पर शासन किया
          अहिल्याबाई ने अपना राजकाज मल्हारनगर (महेश्वर- को राजधानी बनाकर वहां से किया और इसे टकसाल से चांदी और तांबे के सिक्के ढलवाए। उन्होंने अपने सिक्कों पर 'शिवलिंग एवं बेलपत्र' को अंकित कराया। इसके पीछे दो कारण थे, एक तो भगवान शिव को राजा बनाकर एवं स्वयं सेवक मानकर राज्य करना चाहती थी तथा अन्य का हिंदू राजाओं को बताना चाहती थी कि यह तो शिव का राज्य है, इस के सिक्कों पर भी शिव शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं दूसरे इस शिव के राज्य पर हमला करने या जीतने का मतलब शिव पर आधिपत्य करना माना जाएगा और उनकी यह नीति सफल रही, किसी ने आक्रमण नहीं किया।
अहिल्याबाई होल्कर 1767 से 1795 द्वारा शिवलिंग चिन्हित ढलवाए गए सिक्के---
1-- 11. 5 ग्राम का चांदी का रुपया जिसके पृष्ठभाग पर शिवलिंग एवं टकसाल का नाम मल्हारनगर लिखा हैअग्रभाग पर शाह आलम बादशाह गाजी उर्दू भाषा में लिखा है
2-- 11. 5 ग्राम का चांदी का रुपया, जिसके पृष्ठभाग पर 'शिवलिंग एवं बेलपत्र' के साथ टकसाल मल्हारनगर लिखा हैअग्रभाग पर शाह आलम बादशाह गाजी उर्दू में लिखा है
3-- 8. 7 ग्राम का तांबे का 1/4 आना (एक पैसा) जिसके पृष्ठभाग पर 'शिवलिंग एवं पेड़ की शाखा' और अग्रभाग पर शाह आलम बादशाह उर्दू में लिखा है
47. 3 ग्राम का तांबे का 1/4 आना (एक पैसा) जिसके पृष्ठभाग पर 'शिवलिंग' बना है और अग्रभाग पर शाह आलम बादशाह गाजी उर्दू में लिखा है
5-- तुकोजीराव होल्कर (1844-1886) द्वारा तांबे का आधा आना वजन 16 ग्राम जिसके पृष्ठभाग पर 'पूर्णता विकसित शिवलिंग जलहरी के साथ एवं बैठा हुआ नंदी' एवं अग्रभाग पर 'बेलपत्र' और शाह आलम उर्दू में लिखा हुआ है।

मराठों द्वारा जारी शिवलिंग अंकित सिक्के-
6-- मुल्हेर या औरंगनगर टकसाल (1173-1221 हिजरी) का चांदी का 11 ग्राम का रुपया जिसके पृष्ठभाग पर 'शिवलिंग' एवं हिंदी अक्षर में मुं एवं अग्रभाग पर अजीजुद्दीन आलमगीर उर्दू में लिखा हुआ है
7-- बुरहानपुर टकसाल (1179 हिजरी) का चांदी का 11.05 ग्राम का रुपया जिसके पृष्ठभाग पर टकसाल डरा उससरुर   बुरहानपुर एवं 'शिवलिंग' अंकित है। अग्रभाग पर शाह आलम बादशाह गाजी एवं तारीख उर्दू में लिखी है।

ग्वालियर महाराज जीवाजी राव सिंधिया (18431886) द्वारा तांबे के पैसा चलाया गया, जिसके अग्रभाग पर 'हनुमान एवं शिवलिंग' और पृष्ठभाग पर टकसाल राजोद लिखा है।

स्वतंत्र राज्य शिवगंगा का शिवलिंग वाला सिक्का
दक्षिण एशिया के स्वतंत्र राज्य शिवगंगा के लॉर्ड्स (1743-1801) द्वारा चलाया गया तांबे का 3.00 ग्राम का सिक्का, जिसे 'दो कसू' कहते हैं, इसके अग्रभाग पर 'शिवलिंग जलहरी के साथ' अंकित है एवं पृष्ठभाग पर 'विष्णु' को अंकित किया गया है।
         उपर्युक्त सिक्कों का अध्ययन करने पर ज्ञात होता है कि हमारे पूर्ववर्ती राजघराने कितने धार्मिक प्रवृत्ति के थे एवं धर्म, ईश्वर को सर्वोपरि स्थान देते थे

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