देश मे सायबर लॉ

NIRAJ KRISHNA
         ADVOCATE                                                                                            House No-322,
          (LL. M., LL.D)                                                                                            Nehru Nagar,
                                                                                                                     P.O.-Patliputra,
                                                                                                                     Patna. -800013
                                                                                                                     Ph-9431074200
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Ref.00                                                                                                DATE :14th March 2018

साइबर आतंकवाद का क्षेत्र इतना विस्तृत है कि किसी एक परिभाषा में इसके सभी पहलुओं को शामिल नहीं किया जा सकता। साइबर स्पेस ऐसा क्षेत्र है, जिसमें रोज़ नई-नई तकनीकों का विकास हो रहा है और यह देखते हुए इसे किसी पूर्व निर्धारित परिभाषा के दायरे में सीमित करना उचित भी नहीं है।प्रौधोगिकी के आगमन से साइबर क्राइम और महिलाओं पर जुल्म उच्च सीमा पर हैं और इस प्रकार साइबर क्राइम किसी भी व्यकित की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है। हालांकि भारत उन बहुत थोड़े देशों में से एक है जिसने साइबर अपराधों से निपटने के लिए आर्इटी अधिनियम 2000 को अमल में लाया है, लेकिन इस अधिनियम में महिलाओं से संबंधित मुददे अभी भी अछूते ही रहे हैं। इस अधिनियम के तहत कुछ अपराधों जैसे हैकिंग, नेट पर अश्लील सामाग्रिओं का प्रकाशन और डेटा के साथ छेड़छाड़ को दण्डनीय अपराध घोषित कर दिया है।
                   बड़े स्तर पर व्यकितयों एवं समाज के विरूद्ध किए जाने वाले विभिन्न साइबर अपराधों के बीच, ऐसे अपराध जिन्हें विशेषतौर से महिलाओं को लक्षित कर किया जाता हैं में निम्नलिखित शामिल हैं:

I. ई-मेल के माध्यम से उत्पीड़न एक नया विचार है। यह पत्रों के माध्यम से उत्पीड़न करने जैसा ही है। ई-मेल के माध्यम से उत्पीड़न में ब्लैकमेल करना,धमकाना, बदमाशी और धोखा देना शामिल है। ई-उत्पीड़न पत्र उत्पीड़न की ही तरह है, लेकिन तब अक्सर समस्या पैदा करता है जब फर्जी आर्इडी से भेजा जाता है।
II. साइबर स्टालकिंग आधुनिक युग में नेट अपराध के रूप में सबसे अधिक कुख्यात अपराध है। आक्सफोर्ड शब्दकोश में स्टालकिंग को ''छिपकर पीछा करना के रूप में परिभाषित किया गया है। साइबर स्टालकिंग में पीडि़त को मैसेज भेजकर, चैटरूप में प्रवेश कर, ढेर सारे ई-मेल भेजकर परेशान किया जाता है
III. महिला नागरिकों के लिए साइबर अश्लीलता एक अन्य खतरा है। इसमें अश्लील वेबसाइट; अश्लील मैग्जीन को कम्प्युटर (सामग्री को प्रकाशित एवं मुदि्रत करने के लिए) और इंटरनेट (अश्लील पिक्चर्स, फोटो, लेखन आदि को डाउनलोड और भेजने में) का उपयोग कर निर्मित किया जाता है।
IV. ई-मेल स्पूफिंग- एक स्पूफ्ड ई-मेल वह कहलाती है, जोकि अपने मूल को दुष्प्रचारित करे। यह वास्तविक स्रोत से बिल्कुल भिन्न होती है। इस तरह की ई-मेल अक्सर पुरूष अपनी अश्लील फोटों को महिलाओं को भेजते हैं, उनकी सौंदर्यता की प्रशंसा करते हैं, और उनसे डेट पर चलने के लिए कहते हैं, यहां तक कि उनसे उनकी ''सर्विसेज के चार्ज भी पूछते हैं। इसके अतिरिक्त, ई-मेल, एसएमएस और चैट के माध्यम से स्पष्ट संदेश भेजते हैं, जिनमें से अधिकांश में पीडि़त के चेहरे को किसी अश्लील फोटो, अक्सर, नग्न शरीर पर लगा देते हैं।

इंडियन पेनल कोड (आईपीसी) में साइबर अपराधों से संबंधित प्रावधान:~
1. ईमेल के माध्यम से धमकी भरे संदेश भेजना-आईपीसी की धारा 503
2. ईमेल के माध्यम से ऐसे संदेश भेजना, जिससे मानहानि होती हो-आईपीसी की धारा 499
3. फर्ज़ी इलेक्ट्रॉनिक रिकॉड्‌र्स का इस्तेमाल-आईपीसी की धारा 463
4. फर्ज़ी वेबसाइट्‌स या साइबर फ्रॉड-आईपीसी की धारा 420
5. चोरी-छुपे किसी के ईमेल पर नज़र रखना-आईपीसी की धारा 463
6. वेब जैकिंग-आईपीसी की धारा 383
7. ईमेल का ग़लत इस्तेमाल-आईपीसी की धारा 500

नोट: नए संशोधन में मोबाइल तथा व्यक्तिगत डिजिटल असिस्टेंस को कम्युनिकेशन का साधन माना गया है, जिससे मोबाइल फोन के जरिये होने वाले अपराधों को भी साइबर क्राइम कहा गया है।बार-बार(3 बार से अधिक) किसी महिला को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजना एक गंभीर साइबर अपराध की श्रेणी में रखा गया है। कई लोग फेक id का आजकल बहुत ज्यादा प्रयोग कर रहे हैं जिनका IP एड्रेस एक ही रहता है एवं अपने ही नेट कनेक्शन से कभी इस id से और कभी दुसरे id से मेसेज भेजते रहते है, इस तरह के id को पकड़ना राज्य पुलिस के साइबर सेल के लिए बहुत सरल हो गया है अब एवं इसे एक गंभीर अपराध की श्रेणी में रखा गया है एवं गैर-जमानतीय अपराध माना गया है।

पोर्नोग्राफी
पोर्नोग्राफी के दायरे में ऐसे फोटो, विडियो, टेक्स्ट, ऑडियो और सामग्री आती है, जिसकी प्रकृति यौन हो और जो यौन कृत्यों और नग्नता पर आधारित हो। ऐसी सामग्री को इलेक्ट्रॉनिक ढंग से किसी को मेसेंजर के द्वारा इनबॉक्स में इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से दूसरों तक पहुंचाते हैं, किसी को उसकी मर्जी के खिलाफ अश्लील संदेश भेजते हैं, वे भी इसके दायरे में आते हैं।
कानून
- आईटी (संशोधन) कानून 2008 की धारा 67 (ए)
- आईपीसी की धारा 292, 293, 294, 500, 506 और 509
सजा: जुर्म की गंभीरता के लिहाज से पहली गलती पर पांच साल तक की जेल और/या दस लाख रुपये तक जुर्माना। दूसरी बार गलती करने पर जेल की सजा सात साल हो जाती है।

तंग करना
सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों, ई-मेल, चैट वगैरह के जरिए बच्चों या महिलाओं को तंग करने, किसी को अश्लील या धमकाने वाले संदेश भेजना या किसी भी रूप में परेशान करना साइबर क्राइम के दायरे में आता है। किसी के खिलाफ दुर्भावना से अफवाहें फैलाना, नफरत फैलाना या बदनाम करना।
कानून
- आईटी (संशोधन) कानून 2009 की धारा 66 (ए)
सजा: तीन साल तक की जेल और/या जुर्माना

आईपीआर (बौद्धिक संपदा) उल्लंघन
वेब पर मौजूद दूसरों की सामग्री को चुराकर अनधिकृत रूप से इस्तेमाल करने और प्रकाशित करने के मामलों पर भारतीय साइबर कानूनों में अलग से प्रावधान नहीं हैं, लेकिन पारंपरिक कानूनों के तहत कार्रवाई की मुनासिब व्यवस्था है। किताबें, लेख, विडियो, चित्र, ऑडियो, लोगो और दूसरे क्रिएटिव मटीरियल को बिना इजाजत इस्तेमाल करना अनैतिक तो है ही, अवैध भी है।
कानून
- कॉपीराइट कानून 1957 की धारा 14, 63 बी
सजा: सात दिन से तीन साल तक की जेल और/या 50 हजार रुपये से

साइबर अपराध से बचने के सर्वश्रेष्ठ तरीके -
1) ऑनलाइन निजी जानकारी को साझा न करें
2) वेबसाइटस पर निजी प्रोफाइल्स न तैयार करें।
3) लिंग विशिष्टता या उत्तेजक स्क्रीन नाम या ई-मेल पते का उपयोग न करें।
4) ऑनलाइन फ्लर्ट या तर्क-वितर्क न करें।
 

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