सोच रहा हूँ राजनीति में चला ही जाऊं अब !! (व्यंग)

सोच रहा हूँ राजनीति में चला ही जाऊं अब !! (व्यंग)
आज सुबह-सुबह ही कुछ विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्य मेरे आवास पर मुझसे मिलने एक साथ आये। मुझे जरा सुखद आश्चर्य भी रहा था इन सभी रहनुमाओं को एक साथ देख कर। लगा अब 'अच्छे दिन' आने में बहुत देर नही है क्योंकि सभी राजनीतिक दल के सदस्य कम से कम कुछेक मुद्दों पर तो एकमत हैं। अच्छे संकेत हैं देश की दशा और दिशा के लिए यह।
अब देखिए न, एक दल विशेष को छोड़ सभी राजनीतिक दल के सदस्य जनता-जनार्दन के सुर में सुर मिला रहे हैं कि बजट में मध्यम-वर्ग की घोर उपेक्षा की गई है। 40,000 की स्टैण्डर्ड डिडक्शन के नाम पर भोली- भाली जनता को बेवकूफ बनाया गया है......बहुत सारे मिथ्यारोप हैं इन लोगों के वर्तमान सरकार से। पर सांसदों के वेतन बढ़ोत्तरी पर इनलोगों के सुर एक जैसे हैं - मिले सुर मेरा-तुम्हारा तो सुर बने हमारा। ........खैर
मैंने सबों के यथोचित सम्मान में उन्हें चाय-बिस्किट के साथ कुछ फल वैगरह दिये। डेढ़ लीटर दूध का चाय पी गए ये लोग 3 बार में, पर उन सबों ने बदले में अपनी-अपनी राजनीतिक दल में मुझे जॉइन करने का आग्रह भी किया। किसी दल ने मुझे राज्य स्तर का 'मीडिया प्रभारी' बनाने का आश्वाशन दिया किसी ने 'पार्टी प्रवक्ता' , तो किसी दल ने 'लीगल सेल' का हेड तो कोई 'अगड़ी-पिछड़ी जाति समंजस्व समिति' का अध्यक्ष बनाने का आश्वाशन दिया। एक दल ने तो अगली विधान सभा चुनाव में 'टिकट' तक पक्की कर दी। ....खैर।
मैंने सभी सम्मानित लोगों से आने का प्रयोजन पूछा तो सबों ने एक सुर में कहा- वकील साहब, बहुत बड़ा संकट आ गया है हमलोगों के अस्तित्व पर और इससे निजात आप ही दिला सकते हैं। जो भी फी कहियेगा देंगे पर संकटमोचन बनिये हमलोगों के। मैं जरा उत्सुकता में आ गया कि आखिर ऐसा क्या हो गया है कि इनलोगों के अस्तित्व पर ही संकट के बादल मंडरा रहे हैं। सबसे ज्यादा परेशान सत्ताधारी दल के सदस्य ही लग रहे थे।
मैं उनलोगों से आग्रह किया जरा खुल कर स्पष्ट करें कि आपकी समस्या क्या है? तब सत्ताधारी दल का एक सदस्य बोला, वकील साहेब, आप Big Boss देखते हैं क्या? मैंने पूछा, ये क्या है Big Boss, और इससे आप सबों का क्या संबंध। तब उन्होंने बताया कि टीवी के कलर्स चैनल पर यह सीरियल प्रसारित की जाती है सलमान खान के संरक्षण में। Big Boss की 11वां सेशन जो कि 01 अक्टूबर 2017 से प्रारंभ होकर 14 जनवरी 2017 तक चली है। तभी मैंने बीच में उन्हें टोका, इससे आपके अस्तित्व का क्या लेना-देना....। तब विपक्षी दल का प्रतिनिधि बोला, ये वकील साहेब आप बहुते हड़बड़ाते हैं जरा बात तो पूरी सुन लीजिए हमलोगों का एक बार। "ई बुरबक टाइप आप काहे कर रहे"। आप तो बहुत होशियार वकील हैं, सबसे बड़ा वाला पढ़ाई भी किये हुए हैं कानून का। मैं.....भौंचक। कुछ कर भी नही सकता इनलोगों का, क्योंकि ये जनता के जनार्दन हैं। खैर उन लोगों ने आगे बताना शुरू किया..... Big Boss के 11वें सीजन में मर्यादाओं को तार-तार किया जा रहा था खुलेआम। अगर इसी तरह से दूसरी जगहों पर मर्यादाओं को नीचे गिराया जाता रहेगा तो हमारा कोई नाम लेने वाला भी नही बचेगा। फिर हमें कौन पूछेगा। हम तमाम नेतागण पार्टी लाइन से ऊपर उठ कर एक साथ इसका विरोध अदालत के माध्यम से दर्ज कराना चाहते हैं और एक सख्त कानून चाहते हैं।
तभी उसमे से एक बोल पड़ा, हम सत्ता में नही हैं तो क्या? हमें कम गिरा हुआ समझने की कोई भूल न करे। एक व्यक्ति जो बातचीत के लहजे में बड़ा शालीन और शिक्षित लग रहा था और अन्य सदस्यों की अपेक्षा, बजाय कुर्ता-पैजामा के वह शर्ट-पैंट और गले मे स्कार्फ टाइप कपड़ा लपेटे हुए था, उसने कहा हमको तो गिरने ही नही दिया जा रहा है पूरी तरह से। विपक्षी दल अड़चन डाल रहे हैं बार-बार मेरे गिरने पर।
मैं अजीब सा कशमकश में था इस तरह के केस को सुन कर और कानून को सारी किताबों और रेफेरेंस को याद कर रहा था कि कहीं पढ़ी हो इस तरह के उदाहरण को, तभी स्कार्फ वाला व्यक्ति मुझसे बोला, किस उलझन में पड़ गए हैं आप। कोई रास्ता आप ही बता सकते हैं।
कुछ न समझ आते हुए भी एक कुशल अधिवक्ता के तौर पर मैंने उन सबों से पूछा- ठीक है देखता हूँ, काम अवश्य होगा; मैं हूँ न आपलोगों के साथ। पर एक बात आप लोग बताइये, कि आप सब लोग क्या 'रिलीफ' चाहते हैं इसमें।
समवेत स्वर में उनलोगों ने कहा वकील साहब- 'लीचड़पना और मर्यादाओं से छेड़छाड़ करना' हमारा पेशागत अधिकार है। अगर कोई हमसे ज्यादा होशियार बनता है तो इस संबंध में कानून बनाकर उस पर बैन लगाना चाहिए। समाज के कई वर्गों में अमर्यादित होने की होड़ मची हुई है आज, जो घोर अनैतिक कृत्य है। समाज के हर तबके में 'मेरी कमीज से ज्यादा तुम्हारी कमीज काली कैसे', सिद्ध करने की होड़ मची हुई है। हमे तत्काल ऐसे कानून की जरूरत है जिसमे यह सुनिश्चित किया जाए कि 'हमसे ज्या

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