यक्ष प्रश्न: भारत में अल्प-संख्यक कौन ??
शाम के वक्त चाय की
चुस्कियों के साथ पेपर पढ़ रहा था तभी मेरे एक ग्रामीण आ धमके घर पर। न चाहते हुए
भी भारी मन से उनके आदर सम्मान में उठ खड़ा हुआ क्यूंकि मेरे ग्रामीण जरा गरीब तबके
से आते हैं। मैं उन्हें कुर्सी पर बैठा घर के अन्दर गया उनके लिए पानी और चाय के
लिए बोलने। बोलते ही घर के भीतर पोखरण जैसा एक भीषण विस्फोट हुआ पर इस तरह के
विस्फोटों का आदि हो चूका हूँ इसलिए बहुत फर्क नहीं पड़ता है अब।
लौटने के क्रम में देखा कि
गाँव वाले चाचा जो बराबर फटहिया चमरौंधा जूता पहने हुए रहते थे वे बढ़िया सा केनवास
शुज पहने हुए थे तो अनायास ही मेरे मुंह से स्वर फुट पड़े चचा लगता है अच्छे दिन आ
गए हैं, विकास दिखने
लगा अब तो। चचा चौंके और मुझसे कहा कि अच्छा किये की तुमने विकास की बात किया है।
मैं तो तुमसे पूछने ही वाला था कि हम लोगों का विकास कब होगा? यह विकास-विकास तो हम बचपन से सुनते आ रहे हैं। जो भी
प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री बनता है, तो सबसे पहले विकास करने की बात करता है। यह विकास आखिर है
क्या? और कैसे होगा?
मैंने उन्हें मुस्कुराते
हुए कहा कि चचा बचपन से लेकर पूरी जवानी तक आपने आप मिसीर चमार का बनाया चप्पल
पहनकर काट ली, जवानी में जब आप परदेश
कमाने जाते थे, तो चिट्ठी ही सहारा था, लेकिन अब देखिए, आप बुढ़ापे में कैनवास शूज
पहनकर घूम रहे हैं। अब तो घर से निकलने से घर पहुंचने
तक की एक-एक खबर जो फोन पर देते रहते हैं, वह विकास नहीं है क्या? चमचमाती सड़कें, साफ-सुथरे अस्पताल, घर-घर में शोर मचाते टेलीविजन सेट। यही तो विकास है चचा।
कुछ सकुचाते हुए बोले, ‘बेटा! हम आधा पेट खाए,
फटी धोती पहन के
जिंदगी काटे, तब जाकर चार पैसा जोड़ पाए
और टीवी-उबी, मोबाइल वगैरह खरीद पाए।
इसमें सरकार का क्या है? अपना पैसा लगाया, तो यह सुविधा मिल गई। सरकार हमारा विकास कब करेगी?
मैंने उन्हें समझाते हुए
कहा, ‘चचा! यह बताओ, जब सरकार कहती है कि सबका विकास करना उसका पहला काम है, तो वह पहला काम कर रही है। आजादी के बाद से करती आ रही है।
आपने यह तो सुना कि वह सबका विकास करेगी, लेकिन यह नहीं सुना कि वह
अल्पसंख्यकों का सबसे पहले विकास करेगी। कहती है की नहीं?’
मैंने मुस्कुराते हुए कहा, ‘चचा! आप अल्पसंख्यक किसको मानते हैं? ‘अरे हम सब ही तो हैं अल्पसंख्यक।’ चचा अब झुंझला उठे। मैंने
कहा, ‘नहीं। देश में न हिंदू अल्पसंख्यक
हैं, न मुस्लिम। न सिख
अल्पसंख्यक हैं, न जैन, पारसी, ईसाई, बौद्ध। अल्पसंख्यक हैं,
तो इस देश के
पूंजीपति, उद्योगपति, अफसर और नेता। आप सोचिए चचा, इस देश की एक सौ पैंतीस करोड़ की आबादी में पूंजीपतियों, उद्योगपतियों, अफसरों, नेताओं की आबादी कितनी होगी? मुश्किल से कुल आबादी का एक फीसदी। अब
सरकार पहले इन अल्पसंख्यकों का विकास करेगी कि आप जैसे बहुसंख्यकों का।
पहले इन
लोगों का विकास हो जाने दो, आपका भी करेगी। जब सरकार ने
कहा है, तो विकास जरूर करेगी। चचा, जरा धीरज धरो।’ विकास होगा ....... जरुर विकास होगा, विकास होगा, बडबडाते हुए मैं चाय लाने चला गया घर के भीतर।
Comments
Post a Comment