नेता करें 'छठ' महापर्व का अध्ययन !!


देश में ज्यों-ज्यों चुनाव की सरगर्मी तेज होती है, लोगों के दिलों में नफरत के बीज रोपे जाने लगते हैं। यह सब होता है वोट बैंक पॉलिटिक्स के कारण। ऐसे में हमारे नेताओं को सूर्य उपासना के महापर्व 'छठ' के भारतीय स्वरूप का अध्ययन करना चाहिए। उन्हें चाहिए कि वह छठ के घाटों पर जाकर 'भारतीयता' को करीब से देखें। वहां आस्था पर मजहब का जोर नजर नहीं आता। वहां ऊंच-नीच की सारी भावना जल के प्रवाह में उतरते ही विलुप्त हो जाती है। भगवान भास्कर सभी को मानवता के एक सूत्र में पिरोते हैं। सैकड़ों ऐसे मुस्लिम परिवार हैं जो छठ माई के प्रति न केवल आस्था रखकर शीश नवाते हैं, बल्कि छठ का व्रत भी हिंदू परिवारों की तरह ही रखते हैं।
यह महापर्व आज देश के हर हिस्से में ही नहीं, विदेश में भी सद्भाव बढ़ाने और पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के संदेश सहित मनाया जाता है। चार दिवसीय इस पर्व में प्रकृति व पर्यावरण से लगाव के दर्शन होते हैं। डूबते और उगते सूर्य की पूजा तो इसमें होती ही है, प्रयोग की जाने वाली सारी चीजें भी प्राकृतिक होती हैं। पूजा में इस्तेमाल होने वाला सूप व दउरा बांस से बना होता है। प्रसाद के लिए जलावन बतौर आम की लकड़ी का उपयोग होता है। प्रसाद के रूप में अरवा चावल और कद्दू की सब्जी, गन्ने के रस से बनी खीर, ठेकुवा, गन्ना, सिंघाड़ा, नारियल, नींबू, केला, हल्दी, अदरक, सेब, संतरा आदि प्राकृतिक चीजों व फलों का प्रयोग होता है।
पर्यावरणविदों और वैज्ञानिकों के अनुसार छठ एक विशेष खगोलीय अवसर होता है। इस समय पृथ्वी की सतह पर सूर्य की पराबैंगनी किरणें सामान्य से अधिक मात्रा में संचित हो जाती हैं। इस कारण जीवन पर पड़ने वाले बुरे प्रभावों से बचाने की क्षमता इस पर्व में होती है।
रामायण काल में राम द्वारा लंका विजय के बाद कार्तिक शुक्ल षष्ठी को भगवान राम और माता सीता ने उपवास रख सूर्यदेव की पूजा की और सप्तमी को सूर्योदय के समय फिर अनुष्ठान कर सूर्यदेव से आशीर्वाद लिया था। महाभारत काल में कुंती द्वारा सरस्वती नदी के तट पर सूर्य पूजा करने और सूर्य के आशीर्वाद स्वरूप उन्हें पुत्र कर्ण के प्राप्त होने का उल्लेख मिलता है। कर्ण स्वयं सूर्य भक्त थे। वह सूर्य को दैनिक अर्घ्य देते थे। छठ में अर्घ्य देने की यही रीति अपनाई जाती है।
कहा जाता है कि पांडवों द्वारा जुए में राजपाट हार जाने पर द्रौपदी ने छठ व्रत रखा था। इसी के कारण पांडवों के सभी कष्ट दूर हुए और उन्हें उनका राज्य फिर से मिल गया। ऐसी मान्यता है कि छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं। उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए छठ के दिन भगवान सूर्य की आराधना भी की जाती है।

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