रामनवमी

देवलोक में प्रधान का पद काफी दिनों से रिक्त था। देवतागण तय नही कर पा रहे थे किसे प्रधान के पद पर नियुक्त किया जाय। सभी एक से बढ़ कर एक थे। एक दिन देवताओं ने सभी देवदूतों को बुलाया और आदेश दिया कि पृथ्वी लोक से जो भी दूत निश्चित समय के भीतर सबसे अद्भुत उपहार लेकर आएगा, उसी की नियुक्ति प्रधान के पद पर सुनिश्चित होगी।
सभी दूत धरती की तरफ आतुरता से चल दिये और एक से बढ़कर एक उपहार लेकर लौटे और देवताओं को सौंप दिया। परंतु एक देवदूत अभी भी नही लौट था। उसे आने में विलंब हो गया। और विलंब होने के कारण भयभीत भी था।उसने डरते- डरते और सकुचाते हुए कागज की एक छोटी सी पुड़िया देवताओं के सम्मुख प्रस्तुत किया।
ईश्वर ने पुड़िया खोली- " अरे, यह क्या ! इस पुड़िया में मिट्टी बांध लाये?"
दूत ने विनम्र भाव से कहा - "हाँ भगवन! में पूरी धरती को छान मारा परंतु मुझे ऐसा कुछ भी नही मिला जिससे आपलोगों को प्रसन्नता मिले।प्रभु है तो यह मिट्टी ही, पर किसी साधारण स्थान की नही। यह वह मिट्टी है जहां के लोगों ने धर्म और मानवता की रक्षा के लिए खुशी-खुशी अपने प्राण न्योछावर कर दिए।" देवदूत ने हाथ जोड़ कर कहा।
विधाता ने वह मिट्टी बड़ी श्रद्धा से अपने मस्तक पर लगा ली और कहा- " देवदूतों ! जब तक पृथ्वी पर ऐसे संत और सज्जन पुरुष बने रहेंगे तब तक धरती पर सुख-शान्ति बनी रहेगी।
प्रेम से बोलिये पवन सुत हनुमान की जय।😊

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