डिमोनेटाईजेशन 500 & 1000

व्यक्तिगत रूप से मेरा मानना है कि एक अकेला व्यक्ति बदलाव का उत्प्रेरक हो सकता है, किसी भी परिस्थितियां किसी भी संगठन का "परिवर्तक"। ऐसा व्यक्ति खमीर के सामान है जो पूरी डबलरोटी को प्रभावित करता है। एक बदलावकारी लीडर बनने के लिए भविष्य-दृष्टि, शुरुआत, धैर्य, सम्मान, दृढ़ता, साहस और विश्वाश की जरुरत होती है।

किसी विशाल जहाज के पतवार से जुडी हुई एक अन्य छोटी पतवार भी होती है जिसे ट्रिम-टैब कहते हैं।इसे जरा भी हिलाने पर पतवार धीरे-धीरे मुड़ती है, जिससे उस विशालकाय जहाज की दिशा ही बदल जाती है।अपने आप को एक ट्रिम-टैब की तरह समझे। स्वयं में छोटे-छोटे बदलाव लाकर हम किसी भी देश की व्यवस्था को परावर्तित कर सकते हैं, और संभवतः पूरी संस्कृति ही बदल सकते हैं।

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