जो अविनाशी है, आप उसकी फोटो कैसे लेंगे?
सब मानते हैं कि भगवान हैं, परंतु भगवान को जानते नहीं हैं, पहचानते नहीं हैं। भगवान कैसा है? दो हाथ हैं या चार हाथ हैं? दो पैर हैं या इससे ज्यादा पैर हैं? अगर भगवान है तो कैसा लगता है? लंबा है या छोटा है, पतला है या मोटा है? बूढ़ा है या जवान है? कहां रहता है? क्या खाता है? लोगों के अलग-अलग विचार हैं। भगवान एक अविनाशी शक्ति है। कुछ लोग कहते हैं, फ लां- फ लां जगह रहता है। भगवान खुश होता है, नाराज होता है।
भगवान पुलिंग है या स्त्रीलिंग? मर्द है या औरत? इसी में सारी दुनिया फंसी हुई है। उससे प्रेम और भक्ति क्या करेंगे, जब यही मालूम नहीं कि किससे प्रेम कर रहे हैं? अगर सचमुच उसके हाथ- पैर हैं, उसे गुस्सा आता है -तो इसका मतलब है कि आपने भगवान को ठीक से समझा नहीं है। जब तक यह सांस आपके अंदर आ रही है, भगवान आपसे रूठा नहीं है। बल्कि भगवान आपका चिंतन कर रहा है।
आप बहुत भाग्यशाली हैं। अगर आप इस बात को समझ गए तो इसका आप अपने जीवन में लाभ उठा सकेंगे, अपने जीवन को सफल बना सकेंगे। 'भगवान है या नहीं' इस विषय पर शास्त्रार्थ हो सकता है, परंतु 'सांस' के बारे में शास्त्रार्थ करने की जरूरत नहीं है। सांस आई और आप जीवित हैं। यह है सचाई! मनुष्य होने के नाते आपके लिए सचाई सिर्फ एक है। वह एक चीज है- स्वांस का आना और जाना। यह आपकी सचाई है। जब तक आप इस सचाई को नहीं समझेंगे, नहीं अपनाएंगे, तब तक आप इसका लाभ प्राप्त नहीं कर सकेंगे।
भगवान कहां रहता है? ऊपर रहता है। यह तो पता ही गलत है। क्या करता है? सबको देखता रहता है। जैसे उसको करने के लिए और कुछ नहीं है। बस, वह सबको देखता रहता है। लोगों के पास इन सब प्रश्नों के सही जवाब नहीं हैं, बल्कि धारणाएं हैं, कल्पनाएं हैं। क्या-क्या धारणाएं हैं? उसने छह दिनों में सारी सृष्टि की रचना की, फि र सातवें दिन आराम किया। चूंकि सातवें दिन इतवार था, इसलिए भगवान ने आराम किया और इसीलिए सभी को आराम करना चाहिए। और इसलिए रविवार को सबकी छुट्टी होती है। परंतु लोग भगवान को आराम नहीं करने देते, क्योंकि सब इतवार के दिन ही चर्च या मंदिर जाते हैं। अरे, जब भगवान आराम कर रहे हैं, तो उन्हें आराम करने दो। उन्हें परेशान करने के लिए भगवान के मकान में क्यों जाते हो? अगर गिरजाघर और मंदिर भगवान के मकान हैं तो क्या आपको वहां जाने पर भगवान मिला? कितनी ही बार गए, वहां आपको एक बार भी वह नहीं मिला, तो इसका मतलब है कि वह वहां नहीं रहता। आपके पास उसका पता गलत है। वह किसी दूसरी जगह रहता है।
भगवान कहां रहता है? ऊपर रहता है। यह तो पता ही गलत है। क्या करता है? सबको देखता रहता है। जैसे उसको करने के लिए और कुछ नहीं है। बस, वह सबको देखता रहता है। लोगों के पास इन सब प्रश्नों के सही जवाब नहीं हैं, बल्कि धारणाएं हैं, कल्पनाएं हैं। क्या-क्या धारणाएं हैं? उसने छह दिनों में सारी सृष्टि की रचना की, फि र सातवें दिन आराम किया। चूंकि सातवें दिन इतवार था, इसलिए भगवान ने आराम किया और इसीलिए सभी को आराम करना चाहिए। और इसलिए रविवार को सबकी छुट्टी होती है। परंतु लोग भगवान को आराम नहीं करने देते, क्योंकि सब इतवार के दिन ही चर्च या मंदिर जाते हैं। अरे, जब भगवान आराम कर रहे हैं, तो उन्हें आराम करने दो। उन्हें परेशान करने के लिए भगवान के मकान में क्यों जाते हो? अगर गिरजाघर और मंदिर भगवान के मकान हैं तो क्या आपको वहां जाने पर भगवान मिला? कितनी ही बार गए, वहां आपको एक बार भी वह नहीं मिला, तो इसका मतलब है कि वह वहां नहीं रहता। आपके पास उसका पता गलत है। वह किसी दूसरी जगह रहता है।
कबीर ने कहा -
विधि हरि हर जाको ध्यान करत हैं, मुनिजन सहस अठासी।
सोई हंस तेरे घट मांहि, अलख पुरुष अविनाशी।।
विधि हरि हर जाको ध्यान करत हैं, मुनिजन सहस अठासी।
सोई हंस तेरे घट मांहि, अलख पुरुष अविनाशी।।
अर्थात् ब्रह्मा, विष्णु, महेश और सारे ऋषि- मुनि जिसका ध्यान करते हैं, वह अलख पुरुष अविनाशी 'हंस' आपके अंदर ही मौजूद है। लोग भगवान की फोटो रखते हैं, परंतु कभी आपने यह जानने की कोशिश की कि यह फोटो आई कहां से? क्योंकि उस जमाने में कैमरे तो होते नहीं थे। तो ये फोटो आए कहां से? आर्टिस्ट ने पेन या कूची ली और अपनी कल्पनाओं-भावनाओं से फोटो बना दी। फिर सारी दुनिया उसे मानने लगी। जो अनादि है, अनंत है, अविनाशी है -जिसका कभी नाश नहीं होता है, आप उसकी फोटो कैसे लेंगे?
उस अविनाशी शक्ति को जानना चाहिए। जब आप अपने ही अंदर जाकर उस अलख अविनाशी का दर्शन करेंगे, तो आपको वह शांति का प्रसाद देगा।
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