इतिहास से साक्षात्कार !!
आज न जाने क्यों मेरा 'मन' इतिहास के उन पन्नो को बार बार याद कर रहा है जब उलुग खान(मुहम्मद- बिन-तुगलक) 1325 में अपने साथियों को धोखा दे कर दिल्ली की सत्ता पर अपना कब्जा कर लिया था। वह तर्क, दर्शनशास्त्र, खगोल विज्ञान, गणित, सुलेख और भौतिक विज्ञान का विद्वान था। वह तुर्की, संस्कृत, फारसी और अरबी जैसी विभिन्न भाषाओं का अच्छा जानकार था। मोहम्मद बिन तुगलक की एक शासक के रूप में सर्वोच्च पहचान यह थी कि उसने विभिन्न उल्लेखनीय प्रयास किए थे और वह धर्म में गहरा विश्वास रखता था।
मुहम्मद बिन तुगलक के सुधार:~
उसने कई आधिकारिक परिवर्तन करने का प्रयास किया था। लेकिन इनमें से अधिकतर में वह अपनी पूर्वाग्रह और दूरगामी परिणाम सोचने के अभाव के कारण एवं महान बनने के कारण विफल रहा था।
उसकी पांच विनाशकारी परियोजनाएं:~
दोआब में कराधान: सुल्तान ने दोआब में एक मूर्खतापूर्ण बजट संबंधी परीक्षण किया था। उसने शुल्क दर में बढोत्तरी के साथ-साथ कुछ अतिरिक्त अबवाबों को पुन: प्रचलन में ला दिया था। बावजूद इसके, राज्य की हिस्सेदारी उसके पूर्ववर्ती शासकों के समय से भी आधी रहने लगी थी।
टोकन मुद्रा का आरम्भ (1330): सुल्तान ने अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए नए-नए तरह के मुद्रा को चलाया। हो सकता है कि यह एक प्रभावी दृष्टिकोण रहा हो लेकिन वह ऐसा करने में नाकामयाब रहा था और जल्द ही अविश्वसनीय रूप से नये सिक्कों का कारोबारी भाव गिरने लगा।
खुर्सी अभियान: सुल्तान का चारों ओर व्यापक जीत का एक सपना था। उसने खुर्सी और इराक को विजय के चुना और इस कारण एक विशाल सेना को सक्रिय कर दिया था। उसको इस अभियान से निराशा हाथ लगी थी।
कराची अभियान: यह अभियान चीनी हमलों का मुकाबला करने के लिए चलाया गया था। इससे उसके मन में एक विचार ने जन्म लिया जिसका उद्देश्य कुमाऊं-गढ़वाल जिलों में कुछ दुराग्रही जनजातियों को समन्वित कर उन्हें दिल्ली सल्तनत के अधीन लाना था।
राजधानी स्थानांतरण (1327): ऐसा प्रतीत होता है कि सुल्तान देवगिर को अपनी दूसरी राजधानी बनाना चाहता था जिससे वह बेहतर तरीके से दक्षिण भारत पर नियंत्रित स्थापित कर सके। देवगिर का नाम बदलकर दौलताबाद रख दिया गया था। दो या तीन साल के बाद ही मुहम्मद तुगलक दौलताबाद को छोड़ना चाहता था क्योंकि उसे आभास हो गया था कि जिस आधार पर उसने दौलताबाद को चुना था उससे वह दिल्ली से दक्षिण भारत पर नियंत्रण नहीं रख सकता है और न ही वह दौलताबाद से उत्तर पर नियंत्रण रख सकता है।
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