आओ, नववर्ष पर गढ़ते हैं कल की रचनात्मक तस्वीर:~
रात 12 बजे के बाद नया साल शुरू हो गया।
दुनिया भर में लोग खुशियां मना रहे हैं और इसके साथ ही दीवारों पर लगे नए कैलेंडर
भी बदल गये। कुछ नया करने की उमंग में हम नए साल में प्रवेश करेंगे।
एक जाते हुए वर्ष को
अलविदा कहने और नए वर्ष का स्वागत करने की यह घड़ी हमें आशा और विश्वास से ओतप्रोत
करती है। इस मुकाम पर हम आने वाले कल की रचनात्मक तस्वीर गढ़ते हैं। क्या नया
बनाना है और क्या सुधारना है, इस संकल्प के साथ जागरूक होते
हैं।
नए वर्ष का स्वागत हमारे लिए कोरी औपचारिकता न बने और न ही कोरा आयोजन भर हो। यह
एक ऐसी सोच का आगाज हो जो बदलाव का प्रेरक बने जिससे शुरुआत हो एक नए और सार्थक
जीवन की।
आज जीवन में विकास के
अवसर तो खूब मिले हैं, पर हमारी खुशी घटी है, सुख घटा है, संतुष्टि घटी है। सुखी परिवारों की
कल्पना हम सब करते हैं, लेकिन परिवारों का सुखी होना आज के
जीवन की एक चुनौती बन गया है।
युग के प्रवाह को रोका नहीं जा सकता, वातावरण के प्रभाव पर पर्दा नहीं डाला जा सकता, न ही दूसरों को बदलने की जिम्मेदारी ली सकती है। लेकिन परिस्थितियों में आमूल परिवर्तन तो किया ही जा सकता है।
युग के प्रवाह को रोका नहीं जा सकता, वातावरण के प्रभाव पर पर्दा नहीं डाला जा सकता, न ही दूसरों को बदलने की जिम्मेदारी ली सकती है। लेकिन परिस्थितियों में आमूल परिवर्तन तो किया ही जा सकता है।
नए वर्ष की शुरुआत इसके
लिए सबसे अच्छा अवसर है। स्वयं की समझ को बढ़ाने से यह बदलाव आसानी से लाया जा
सकता है।
अंग्रेजी में एक कहावत है- पूरी दुनिया में गलीचा बिछाने की बजाय अपने पैरों में चप्पल पहने से रास्ता अपने आप सुगम बन जाता है। कोई भी खुशी हमें उपहार के रूप में नहीं मिलती। इसके लिए हमें कोशिश करनी पड़ती है। सुख हमारी कोशिशों का बाई प्रोडक्ट है।
अंग्रेजी में एक कहावत है- पूरी दुनिया में गलीचा बिछाने की बजाय अपने पैरों में चप्पल पहने से रास्ता अपने आप सुगम बन जाता है। कोई भी खुशी हमें उपहार के रूप में नहीं मिलती। इसके लिए हमें कोशिश करनी पड़ती है। सुख हमारी कोशिशों का बाई प्रोडक्ट है।
चांद से पूछा, तुम इतने हसीन क्यों हो? चांद ने कहा, ये तो तुम्हारी नजर का जादू है, वरना मुझमें भी दाग
है। जब व्यक्ति का नजरिया सकारात्मक होता है, तो खूबियां नजर
आती हैं, कमियां अपने आप नजरअंदाज हो जाती हैं। जब इंसान की
दृष्टि बदलती है तो दृश्य भी बदल जाता है।
चिंतन जब विधायक हो जाता है, तो इंसान में धैर्य आ ही जाता है। वह झुंझलाता नहीं, उलझता नहीं, प्रतिकूल परिस्थिति को भी अपने अनुकूल बना लेता है।
चिंतन जब विधायक हो जाता है, तो इंसान में धैर्य आ ही जाता है। वह झुंझलाता नहीं, उलझता नहीं, प्रतिकूल परिस्थिति को भी अपने अनुकूल बना लेता है।
नया वर्ष हमारे लिए सिर्फ बहाना न बने। पूरे जोश-खरोश के साथ कर्म
करने की तत्परता का माहौल लेकर आए। हम नए सिरे से उन कामों की शुरुआत करें,
जो हमारी अकर्मण्यता, अज्ञानता और उदासीनता की
वजह से बीते वर्ष में रुके पड़े रहे। तो आइए, नववर्ष पर
गढ़ते हैं कल की एक खूबसूरत और रचनात्मक तस्वीर।
सभी मित्रों को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामना।
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