भारत - इजरालइ संबंध !!

कूटनीतिक संबंधों की रजत जयंती:~नेतन्याहू का मित्र भारत और मोदी का इजराइल!!
भारत और इजराइल को क्रमशः 1947 और 1948 में नौ महीने के अंतराल पर ब्रिटेन से आजादी मिली थी। दोनों को ही आधुनिक राष्ट्र के रूप में जन्म लेते समय विभाजन का दंश झेलना पड़ा था। भारत का बटवारा धर्म के नाम पर हुआ। और इजराइल धर्म के नाम पर बना। दोनों ही देश आज तक इस समस्या से जूझ रहे हैं।
भारत का बँटवारा इसलिए हुआ कि मुस्लिम अपने लिए एक अलग राष्ट्र चाहते थे। और भारत का बँटवारा हो गया जिसे गांधी और नेहरू दोनों ने स्वीकार किया। लेकिन जब इजराइल के बनने की बारी आई तो गांधी और नेहरू ने इसका विरोध किया और संयुक्त राष्ट्र में इजराइल बनने के खिलाफ वोट दिया। यह बात बिलकुल ही समझ से परे है कि अपने देश का बटवारा भारत के शीर्ष रहनुमाओं ने धर्म के नाम पर स्वीकार कर लिया, लेकिन अगर इजराइल धर्म के नाम पर बने तो विरोध कर रहे थे।
लेकिन भारत के सभी हिन्दू राष्ट्र्वादिओं ने पहले दिन से ही इजराइल का समर्थन किया और वो इजराइल के बनाये जाने के पक्ष में थे। नेहरू सरकार का असल इरादा तो 1950 में इजरायल को मान्यता प्रदान करने एवं 1951 में मुंबई में वाणिज्य दूतावास खोले जाने के बाद ही सामने आ गया था। मगर ये भी कटु सत्य है कि इजरायल से नजदीकी के मामले में हां एवं ना दोनों ही स्थिति रही। तभी तो भारत सरकार ने मुंबई में इजरायली वाणिज्य दूतावास को सीमित रखा एवं स्वयं इजरायल से डिप्लोमेटिक संबंध रखने में एक लंबे समय तक कन्नी काटता रहा। 29 जनवरी 1992 को प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के नेतृत्व में इजरायल के पूर्ण रूप से राजनयिक संबंध स्थापित किया गया। उसके बाद दोनों देशो के सम्बन्ध बहुत से क्षेत्रो में बहुत ही उचाई पर पहुंच गए, जिनमे रक्षा, कृषि, वित्तीय, क्षेत्र शामिल है।
भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यात्रा को लेकर पूरे इजरायल में धूम मची हुई है। सारे इजरायली मोदी की यात्रा से बहुत अधिक उत्साहित और आनन्दित है। समूचा इजरायल प्रधानमंत्री मोदी के भव्य स्वागत की तैयारी में जुटा हुआ है। इजरायली प्रधानमंत्री से लेकर वहाँ की आम जनता तक पलक पावड़े बिछाकर मोदी के स्वागत में बेकरार हुए जा रहे है।
अपने बेहद ख़ास दोस्त मोदी को देखने और उनसे मिलने की ललक सारे इजरायलियों में झलक रही है। भारतीय प्रधानमंत्री को लेकर यह बेसब्री और बेकरारी इसलिए है क्योकि आज तक कोई भारतीय प्रधानमंत्री इजरायल गया ही नही था। 70 साल में मोदी ऐसे भारतीय प्रधानमंत्री है जो पहली बार इजरायल गये है। मोदी की यह यात्रा कितनी ख़ास और अहम है इसका अन्दाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने उनकी यात्रा से ठीक पूर्व कहा कि कल मेरे मित्र भारतीय पीएम मोदी इजरायल पहुँचेगे। उन्होंने यह भी कहा की भारतीय पीएम की यह यात्रा एक ऐतिहासिक यात्रा है।
प्रधानमंत्री मोदी तीन दिन की यात्रा पर इजरायल गये हैं। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू प्रोटोकॉल को नजरअंदाज करते हुए सहकर्मियों के साथ उनकी अगवानी करने के लिए बेन गुरियन एयरपोर्ट पर मौजूद थे। मोदी के इजरायल पहुंचने पर उनका भव्य एवं शानदार ऐतिहासिक स्वागत किया गया। इजरायल में पहली बार किसी विदेशी मेहमान का इतना शानशौकत से आतिथ्य सत्कार किया जा रहा है। गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति को भी इजरायल इतना तवज्जो नही देता है जितना वह भारत के प्रधानमंत्री मोदी को दे रहा है। इजरायली पीएम की दृष्टि में मोदी का महत्व इससे भी समझा जा सकता है कि वह दो दिन तक मोदी के साथ हर कार्यक्रम में खुद मौजूद रहेगे जबकि इजरायल में नियम है कि "वहाँ का प्रधानमंत्री किसी भी विदेशी मेहमान से एक बार से अधिक नही मिलता है" चाहे वह किसी भी देश का राष्ट्राध्यक्ष या फिर शाशनाध्यक्ष ही क्यों न हो।
मोदी के यात्रा के दौरान भारत और इजरायल के बीच द्विपक्षीय वार्ता में आपसी सहयोग समेत सुरक्षा, कृषि, जल, उर्जा और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर समझौता हो सकता है। इजरायल दुनिया की 15 वी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है तथा सैन्य और रक्षा उपकरणों का महत्वपूर्ण उत्पादक और निर्यातक है।
आतंकवाद से निपटने में इजरायल जैसा माहिर कोई दूसरा देश नही है। प्रधानमंत्री मोदी इसका फायदा अवश्य लेना चाहेंगे। मोदी जी के इस दौरे से चीन चित्त है तो पाकिस्तान पस्त है। दोनों देशो में खलबली और हड़कम्प मचा हुआ है। मोदी के अमेरिका और इजरायल दौरे से चिंतित चीन और परेशान पाक हतप्रभ और निराश होकर एक दूसरे को ढाढ़स और साहस बधा रहे है।
मोदी की यात्रा के बाद 2017 में ही नेतन्याहू ऐसे दूसरे इजरायली पीएम होगे जो भारत की यात्रा पर आयेंगे। इजरायल भारत को 1965, 1971 और 1999 के युद्ध में सैन्य तकनीक में अपना सहयोग दिया था। इस तरह इजरायल भारत का विश्वसनीय मित्र और सहयोगी है। किन्तु मुस्लिम तुष्टीकरण नीति के तहत अगर पूर्व की सरकारों के द्वारा इजरायल के प्रति उपेक्षात्मक रवैया नही अपनाया गया होता तो आज दोनों देशो के सम्बन्ध अतिविशिष्ट होते।

Comments