प्रकृति का अनमोल उपहार~ 'मुसकान' !!
मनुष्य के मुख पर मुस्कान सौभाग्य का
चिन्ह
है। हंसना मनुष्य की स्वाभाविक क्रिया है। विधाता की
सृष्टि का कोई
दूसरा प्राणी हंसता हुआ दिखाई नहीं देता। प्रसिद्ध
चिंतक वायरन ने
ठीक ही लिखा है- ‘जब भी संभव हो सदा हंसो, यह एक सस्ती दवा है,
हंसना मानव जीवन
का उज्जवल पहलू है।‘ पाश्चात्य तत्ववेत्ता
स्टर्न ने तो यहां तक कहा है- ‘मुझे विश्वास है कि हर बार
जब कोई व्यक्ति हंसता मुस्कुराता है तो वह उसके साथ ही अपने जीवन में वृद्धि करता है।‘
स्वेट मार्डेन प्रसन्नता को धन मानते हुए कहते हैं-
‘एक ऐसा धन है, जिसे सब लोग
इकट्ठा कर सकते हैं वह धन है प्रसन्नता का धन। तुम पर कितनी ही मुसीबतें रहे,
तुम कितनी ही कठिनाइयों में हो, तुम्हारे सामने अंधकार ही
क्यों न हो यदि तुम प्रसन्नता को अपनाये रहो तो तुम धनी
हो। यह प्रसन्नता तुम्हारे जीवन को उच्च बनाएगी। प्रसिद्ध विचारक
कार्नेगी का कथन है- ‘मुस्कुराहट थके हुए के लिए
विश्राम है, हतोत्साह के लिए दिन
का प्रकाश,
ठिठुरे के लिए धूप है और कष्ट के लिए प्रकृति का सर्वोत्तम प्रतिकार है। जबकि होमर के शब्दों में ‘मुस्कान
प्रेम की भाषा है।‘
विलियम
शेक्सपियर के
अनुसार- ‘मुस्कान के बल पर जो तुम जो
चाहो पास सकते हो। तलवार से तो इच्छित वस्तु नष्ट हो जाती है।‘ प्रसन्नता वास्तव में चंदन के समान है,
उसे दूसरे के
मस्तक पर लगाइए उंगलियाँ अपने आप ही सुगंधित हो जाएँगी। जीन पॉल ने
‘प्रसन्नता
को वसंत
की तरह ह्रदय की सब कलियां खिला देने वाली मानते हैं। तभी
तो गेटे
ने ‘प्रसन्नता
को सभी सद्गुणों की मां कहां है’।
मनुष्य
मुस्कुराता क्यों
है? मुख के दोनों छोर पर बल पड़ जाने के का क्या कारण है?
इस
संबंध में बेल विश्वविद्यालय के प्राणी विज्ञान के श्री आर जे एड्यू
ने शोध-कार्य किया है। उनका कहना है कि ‘जब आदमी प्रसन्न-मन होता है, तब वह अपने मुख
के छोरों को पीछे की ओर खींच लेता है और घुरघुराहट
उत्सर्जित करता है। लौग फेलो के अनुसार-
‘निर्बाध प्रसन्नता प्रकाश की रंगीन किरणों जैसी
होती है’। हर्बर्ट का विचार है कि ‘हंसमुख चेहरे
से दिया गया जलपान भी रुचिकर आहार हो जाता है।‘
अमेरिका
के कॉरपोरेशन एवं अस्पतालों में 10 वर्षों से उल्लास का संदेश देने वाले मूर्धन्य
मनोचिकित्सक-विज्ञानी
जोयल गुडमैन का कहना है कि ‘हंसी का फव्वारा ही वह
स्त्रोत है, जो शरीर में रोग मुक्त करने वाली जीवन शक्ति को
बढ़ावा देता है और मन में नया उत्साह पैदा करता है।‘
हँसने का लाभ यह भी है कि जीवन की नीरसता,
एकाकीपन, थकान, मानसिक तनाव और शारीरिक
दर्द से राहत दिलाता है। चिकित्सक डॉ विलियम ने अपने
प्रयोग के आधार पर सिद्ध किया है कि ‘खुलकर हंसने से,
सदैव प्रसन्न रहने से पाचन संस्थान ठीक रहता हैं, रक्ताणु वृद्धि करते हैं। स्नायु-संस्थान ताजा
होता है और स्वास्थ्य बढ़ता है। मनुष्य के व्यक्तित्व की मोहिनी शक्ति प्रसन्नता ही है।'
तेलअवीव विश्वविद्यालय के मनोचिकित्सक डॉक्टर एवनरजिव
ने
शोध कार्य के पश्चात पहला निष्कर्ष यह निकाला है कि ‘हंसने से
बुद्धि का त्वरित विकास होता है और कक्षा में अध्यापक बीच-बीच में हंसी की फुलझड़ी
बिखेर के विद्यार्थियों को पढ़ाये तो विद्यार्थियों को वह सबक
जल्दी याद हो जाता है। उनका दूसरा निष्कर्ष है कि हंसने से मनोवैज्ञानिक
परीक्षण में परीक्षार्थी रचनात्मक रूप से शीघ्र सफलता प्राप्त करता है। उसकी तीसरी
मान्यता है कि सेल्समैन, दुकानदार, बैंक-क्लर्क आदि के लिए हँसना उनकी क्रियाशीलता में सहायक होता है किंतु टाइपिस्ट और मशीनों पर काम करने वालों लोगों के लिए हानिकारक है क्योंकि हँसने से उनकी एकाग्रता भंग होती है। अनुसंधानकर्ता वैज्ञानिक डॉक्टर फ्रेंच
का कथन है कि ‘अपने बच्चे
को हमेशा प्रसन्न रहने की शिक्षा देनी चाहिए। उन्हें प्रतिदिन हँसने का प्रयत्न करना चाहिए। डॉ
लुइ डब्लिन भी
इसी बात की है-
‘पुष्टि
की है ‘हंसमुख बालक प्रसन्नमुख युवक बड़ी उम्र प्राप्त करते हैं।‘
हंसना
स्वास्थ्य रहने की सर्वोत्तम औषधि मानी गई है। यह एक अद्भुत औषधि है। यह पौष्टिक
होती है एवं इसमें सब प्रकार का बल मिलता है। बेन जॉन्सन के शब्दों
में ‘हंसोगे,
शरीर से पुष्ट बनोगे।‘ डॉक्टर
प्रोफेसर नार्मन का विचार है कि ‘हंसना एक उत्तम व्यायाम है।
हंसने पर शरीर के स्नायुओं को स्वतः व्यायाम करने का मौका
मिलता है। इससे शारीरिक तथा मानसिक तनाव दूर होता है तथा वेदनाओं में कमी आ
जाती है। यूरोप की वैल्यूज ग्रुप
ने कुछ समय पहले 20 यूरोपीय देशों का सर्वेक्षण किया, इस
सर्वेक्षण का निष्कर्ष यह है कि ‘ब्रिटेन के निवासी
सर्वाधिक स्वस्थ और प्रसन्न रहते हैं उनमें उत्तम स्वास्थ्य का राज है कि हंसने-हंसाने
में दूसरे लोगों के अपेक्षा अधिक समय लगाते हैं। प्रख्यात लेखक स्वेट मार्डेन ने अपनी पुस्तकों में हंसी के महत्व को
प्रतिपादित करते हुए जीवन के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक बताया है। ‘स्टैनफोर्ड
यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल स्कूल’ के डॉ विलियम फ्रायड का मत है कि
जो लोग हंसते-हंसाते नहीं, वह अपेक्षाकृत जल्दी और
गंभीर रूप से बीमार पड़ जाते हैं।‘ वस्तुत उदासी से मानसिक
तथा शारीरिक शक्तियां हो जाती है और हँसी के मुख पर
कांति आ जाती है।'
प्रख्यात
लेखक एवं सामाजिक
चिंतन डेल कार्नेगी का कथन है कि ‘हमें हंसी या मुस्कुराहट पर
कुछ नहीं खर्च करना पड़ता है, परंतु यह
बहुत कुछ पैदा
कर सकती है। पानेवाला भी तृप्त हो जाता है
और देने वाला कभी गरीब नहीं होता।‘
अतः 'जीवन को सामाजिक बनाने के लिए हास्य की आवश्यकता है।'........................
हंसना
एक सर्वसुलभ, सस्ता और सर्वश्रेष्ठ टॉनिक है। यदि
आप हरदम स्वस्थ और प्रसन्न रहना चाहते हैं तो हंसने- हंसाने की आदत
डालें। संसार में केवल मनुष्य ही ऐसा प्राणी है, जो हंसने की
क्षमता रखता है। शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए हंसी काफी लाभदायक है।
हंसने से हृदय,
फेफड़े,
वक्ष-स्थल,
पेट और लीवर आदि अपना काम अच्छी तरह करने लगते हैं।
खुलकर हंसने से श्वास-नलिका और फेफड़ों में से विजातीय तत्व बाहर निकल आते हैं। ह्रदय की धड़कनें
बढ़ने से रक्त प्रवाह तेज हो जाता है। ठहाके लगाकर हंसने से मुंह तथा हाथ पैर की
मांसपेशियां तक सक्रिय हो जाती हैं। उब, उदासी,
तनाव सिरदर्द हंसी सेपल भर में दूर हो जाते हैं।
विशेषज्ञों ने विभिन्न अनुसंधान के पश्चात निष्कर्ष निकाला है कि हंसने से
मस्तिष्क को उत्प्रेरणा मिलती है जिससे शरीर के लिए लाभप्रद हारमोंस पैदा
होते हैं।
हंसी
के संबंध में यह सर्वमान्य सिद्धांत है कि मुस्कुराते हुए व्यक्ति के पास क्रोध,
ईर्ष्या एवं प्रतिहिंसा नहीं आ सकती। प्रतिहिंसा की अग्नि को शांत करने वाली यह
अनमोल औषधि है। हंसी का ही एक स्वरूप मुसकान है। जॉर्ज
बर्नार्ड शा के प्रेरक शब्दों में ‘हंसी की सुंदर पृष्ठभूमि
पर जीवन ही जवानी के फूल
खिलते हैं। जवानी को तरोताजा बनाए रखने के लिए आप भी खूब हंसिये।'
आज
के अनेक विषम समस्याओं से ग्रसित भौतिकवादी
जीवन में मधुर मुस्कान आपको शांति देगी। यह निश्चय ही आप
की कार्य-क्षमता में वृद्धि करेगी। हँसने में कृपणता न कर हँसी के सुमन खिलायें। प्रकृति का अनमोल उपहार
मुस्कान का सदुपयोग कर जीवन को सार्थक बनाएं। अपने चारों और हास्यमय
वातावरण
बनायें। सात्विक हँसी मानव की बहुत
बड़ी संपदा है। इसे प्राप्त करने का सभी को प्रयास करना चाहिए,
इससे जीवन यात्रा मंगलमय बन सकेगी।
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