केसरिया होली मोदी के संग हो....ली !!


भारत तब तब ही कमजोर हुआ है जब-जब हमने हिंदुत्व को कमजोर किया है। हिंदुत्व एक जीवन पद्धति है जो सर्वे भवन्तुः सुखिन … के मूल पर टिकी है। सिर्फ मत प्राप्ति के लिए खुद को कोसने वाले नेता क्या दूसरे मतावलम्बियों का विश्वास जीत पाये हैं ? दूसरों के सामने खुद को ओछा बताकर यदि सत्ता हासिल कर भी ली तो क्या तुम्हे कभी इतिहास गौरव से देखेगा ?
कोई भी राष्ट्र उसकी प्रजा से जाना जाता है ,विश्व का कोई भी देश अपने बहुसंख्यक समुदाय के साथ अन्याय नहीं करता, उस पर झूठी तोहमत नहीं लगाता; लेकिन शर्म आती है तब जब हम खुद अपनों पर चीख चीख कर झूठे आरोप लगाते हैं। इससे क्या मिल जायेगा ?दुनियाँ कमजोर समझ कर लूट लेगी।
आज कौए छाप नेताओं से लोग दुःखी हो गये हैं। ये लोग अपनों को ही गाली देकर अपनों से ही वोट लेकर देश चलाना चाहते हैं, मगर समय बदल रहा है, आज का युवा पढ़ लिख कर इतना तो समझदार हो गया है कि कौओं की काँव-काँव और सिँह की गर्जना को पहचानना सीख गया है।
भारत के 5 राज्यों के चुनाव-परिणाम बहुत कुछ कह रहे हैं। जो लोग शेर की खाल ओढ़ कर मुर्ख बनाते हैं वो सियार हर बार पैंतरे आजमाने में सफल नहीं होंगे।
राष्ट्र मजबूत हिंदुत्व की राह पर चल पड़ा है। राष्ट्र विश्व बंधुत्व,समदृष्टि, करुणा, मैत्री, निर्भयता, विकास, सहयोग सर्व धर्म समान वाले वाले हिंदुत्व के पक्ष में मोर्चा सम्भाल चूका है। तुष्टिकरण और पक्षपात बहुत पुरानी बातें हो चुकी है। इस नए और मजबूत हिंदुत्व से ही भारत मजबूत राष्ट्र बनेगा, इसमें कोई संदेह नहीं है।

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