मन की शांति !!

जोशुआ लोथ लीबमैन(1907-1948) ने अपने संस्करण में लिखा है कि जब मैन युवा था, तब मैं यही सोचता रहता था कि जीवन में मुझे क्या-क्या पाना है।एक दिन मैंने उन चीजों की एक सूची बनाई। ये ऐसी चीजें थी, जिसे पाकर कोई भी अपने को धन्य और पूर्ण समझे।उस सूची में मैंने स्वास्थ्य,सोंदर्य, समृधि, सुयश, शक्ति जैसी बहुत सारी चीजें लिख दी।उस सूची को लेकर मैं एक बुजुर्ग के पास गया, ताकि वे अपने अनुभव से बता सकें कि इस सूची में मनुष्य कि पूर्णता की सभी चीजें आ गयी है या नहीं? मेरे प्रश्न को सुनकर और मेरी सूची में लिखी उपलब्धियों को देखकर वह मुस्कुराने लगे। अंत में वह बोले, 'तुमने सूची तो वाकई बहुत अच्छी बनाई है और इसमें अपनी दृष्टि से हर अच्छे गुण को स्थान दिया है, लेकिन तुम इसमें सबसे महत्वपूर्ण चीज तो लिखना ही भूल गए, जिसके बगैर बाकी सब चीजें बेकार है।
मैं असमंजस में पड़ गया मैंने उनसे पूछा, ‘ यह क्या है जिसे मैंने नहीं लिखा है? बुजुर्गने पूरी सूची काट दी और उसके नीचे उन्होंने तीन शब्द लिख दिए— ‘मन की शांति’।

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