रावण तो मर गया किंतु विभीषण !!
सड़क पर लम्बा चौड़ा रावण बेखौफ विचरण कर रहा था और लोग उसे भय से
देख रहे थे पर कोई भी मारने के लिए आगे नहीं बढ़ रहा था। हाथ बांधे खड़े सब इंतज़ार
में थे कि राम आये और रावण को मारे। क्यूंकि रावण राम की पत्नी का अपहरण कर ले गया
था, उनकी पत्नी को तो ले नहीं गया
था। इसलिए राम ही रावण से निपटें मुझे इससे क्या लेना देना।
कल पूरा देश में लाखो ऐसे रावण मारे गए होंगे और पूरा देश भारत
के बजाये लंका बन गया। भारत में लंका का कब्जा पर हद तो तब लगी जब रावण को मार कर राम ने लंका का राज्य विभीषण को दे दिया।
राक्षस का भाई राक्षस ही होता है। पहले भी लंका में रावण का राज था और बाद में
राक्षस का राज रहा। मतलब अगर राम की शरण में रावण आ जाता तो रावण राज भी करता और
जिन्दा भी रहता। मन में एक ख्याल आया कि "कही राजनीती में इसी लिए तो रावण
जिन्दा नहीं रह गए क्योकि उन्हों ने राम की शरण ले ली"।
कल शाम पूरे देश में रावण जलता रहा। रावण तो चला गया लेकिन
उसके जलने से हुए धुएं से भी तो कई लोग आज भी सांस नहीं ले पा रहे पर एक प्रश्न
अभी भी मैं नहीं समझ पा रहा हूँ कि रावण के बाद विभीषण ने लंका कैसे चलाया। क्या
हर राक्षस एक जैसा नहीं होता या राक्षस कोई भी हो और कुछ भी हो लेकिन अगर वो हमें
नुकसान नहीं पंहुचा रहा तो कुछ भी होता रहे हमें क्या ??
वैसे क्या आप रावण के साथ है या विभीषण के साथ, क्योकि राम को किसी का साथ नहीं, हमको उनका साथ चाहिए ! क्योकि राम राज्य की आकांक्षा हमको है। क्या आज के बाद राम का इंतज़ार बंद हो जायेगा क्योकि सारे रावण तो आज जल गए
!! ओह हो विभीषण तो जिन्दा है ना आखिर हमें बचाव के लिए कुछ तो चाहिए।
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