लौह पुरुष सरदार पटेल:~



"वे अगर सँभालते बागडोर, तो क्या होता,
डोर न उलझती, गांठे न पड़ती, ऐसा न हुआ होता।"

कोई भी प्रशस्ति सरदार पटेल के व्यक्तित्व का निःशेष वर्णन नहीं कर सकती। कभी भी कोई बाधा उनका मार्ग अवरुद्ध नहीं कर सकती थी।कोई भी व्यक्ति या वस्तु उनके विचारों को नहीं डिगा सकता था।भारत की स्वाधीनता और सम्पन्नता के अतिरिक्त उनका कोई लक्ष्य नहीं था...।

देश की स्वाधीनता के बाद देसी राज्यों का भारत में विलय करने में सरदार पटेल की भूमिका, उनके जीवन का सर्वाधिक प्रशंसनीय अध्याय है।उनकी अदम्य इक्षा शक्ति, कुशल राजनीति से ही भारत एक राष्ट्र बना।वस्तुतः वही आधुनिक भारत के निर्माता थे क्योंकि एक वास्तविक बुद्धिमत्तापूर्ण व्यक्तित्व, अदम्य दृढ इक्षा शक्ति उनके अतिरिक्त किसी और में नहीं थी।
हमें जो स्वाधीनता मिली है, ज्यों-ज्यों हम उसका महत्व समझते जायेंगें, हमारे हृदयों में सरदार पटेल के प्रति सम्मान बढ़ता जायेगा।
विनम्र श्रद्धांजलि।

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