कालाहांडी- बार-बार चढती काठ की हांडी


संवेदनहीनता की पराकाष्ठा को लांघती हुई कालाहांडी की घटना मानवता को शर्मशार कर रही है। कुछ दिनों पूर्व कंधे पर पत्नी के शव को ढोता हुआ मांझी, आज एम्बुलेंस के अभाव में बाँस की टोकरी में गर्भवती पत्नी को प्रसव के लिए कंधे पर ढोकर अस्पताल पहुँचाना, क्या अब इस देश का लोकतंत्र कन्धों के सहारे आगे का सफर तय करेगा !
इतिहास के पन्नों पे कालाहांडी में दो हज़ार साल पुरानी सभ्यता के अवशेष हैं। पुरातत्ववेत्ता उसे उस वक़्त की विकसित सभ्यता मानते हैं।
 
लौहयुग की उस सभ्यता से 21वीं सदी के 'ख़ुशहाल भारत' का कालाहांडी कितना अलग है?

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